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नींद के आगोश में दुनिया है

नींद के आगोश में दुनिया है  और कुछ को सपने सोने नहीं देते ----------------------------------------- पुरानी रूकावटें हटाई तो नई से दोस्ती कर ली  बहाने बंधने के ढूंढता रहता हूँ  मैं चाह के भी हवा हो नहीं पाता ----------------------------------------- नशा हजारों का कुछ सौ का इलाज भी महंगा लगे खुद से इतनी बेदिली क्यों  सैनी लौट चलो ये आग कुछ नहीं देगी ----------------------------------------- कवि हुआ है ढोंगी अब ढोंग करेगी कविता  सम्मानों की लीपापोती  स्मृति चिह्नों का आडंबर  भाव की गठरी नहीं खुलेगी  ढोंग करा कर ढोंग बिकेगी ----------------------------------------- वर्तमान था पड़ा निढ़ाल  जकड़े उसको भूतकाल  अब भविष्य की बेड़ी बनता  वर्तमान हो रहा भूतकाल #Sainiऊवाच