Posts

Showing posts from December, 2014

किसी साज का न साथ झंकार हम नहीं

चुभती रही कानों में  वो आवाज हम रहे  किसी साज का न साथ झंकार हम नहीं --------------------------------------------- कौन जिंदा है  कौन मर गया होगा  इस भागती भीड़ को  क्या पता होगा ? यह महानगर है यहाँ कोई किसी का नहीं ---------------------------------------- नई सुबह के इंतजार में  अंधियारे से कब तक लड़ना  चढ़ती सांसें, घटती हिम्मत  मरना जीना, जीना मरना कितने ख्वाब हकीकत होते? कितनों को पैबंद मिली ? नई सुबह के इंतजार में कितनों ने है दम तोड़ा कितनों को है कैद मिली  फिर भी धड़के थोड़ा-थोड़ा : शशिप्रकाश सैनी