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Showing posts from August, 2012

कोशिशें हज़ार की

कोशिशें हज़ार की हमारी भी कहानी हो प्यार की हाल-ए-दिल हम बताएँ उन्हें भी कुछ बताना हो मेरी कहानी में भी  रूठना मनाना हो कोशिशें हज़ार की दरख्तों तले बैठे बिताई कई घडियां इंतज़ार की फल कोई हम पे भी गिरे Newton  ने खोजी Gravity हम प्यार खोज लें कोशिशें हज़ार की इजहार की ऐतबार की पूरा law of motion लगे जब कोई न रोके तो काहे रुके कहानी प्यार की चलती चले कोशिशें हज़ार की बढ़े कहानी हमारे भी प्यार की हम Magnet के North pole वो South pole  सी पर वो पगली भौतिकी के नियम भी न समझी  हम जितना भी गए पास वो दूर ही रही कोशिशें हज़ार की पर हाथों उभर न पाई लकीरे प्यार की : शशिप्रकाश सैनी  //मेरा पहला काव्य संग्रह सामर्थ्य यहाँ Free ebook में उपलब्ध  Click Here //

किसी को खुदा ना बनाए

किसी को खुदा ना बनाए इंसा ही समझे इंसानों की बेवाफई की आदत है जब खुदा खुद दगा देगा तो इंसा क्या करेगा आज जिसको देवता समझेंगे कल वो पत्थर हो जाएगा न तडपेगा आप के लिए न चाहेगा इबादत की न लगाए आदत की आज धडकता दिल है कल खुदा हो जाएगा : शशिप्रकाश सैनी 

हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है

हिस्से हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है ठोकर ठोकर खाई मैंने पत्थर होने वालो से पीठ मेरी ही जख्मी है बस सीने है वार नहीं दिल को तब से मार रखा है हिस्से हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है शीशा शीशा दिल मेरा मै दिल से मजबूर हुआ उसका था जी पत्थर सब मारे टुकड़े चूर हुआ दिल को तब से मार रखा है हिस्से हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है समझे दिल को दिल ही जी समझे कोई सामान नहीं ऐसी उस दिलवाली का कब से करता इंतज़ार यही दिल में जिसके प्यार रखा है हिस्से हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है : शशिप्रकाश सैनी

कहानी Surf की

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इसके रहते दागो को न मिला आराम न करे सस्ता काम जहाँ लगे वो पूरा किलो Surf बस आधा किलो दागो की बंद करे दुकानदारी ये  इसलिए   Surf की खरीदारी में ही समझदारी है घंटो की रगडन में रगड़े दाग लगे थे तगड़े तगड़े डारने लगे दाग अच्छे अच्छे गए भाग दागो को बनाने अपना निवाला Surf लाया है powder ब्लू ब्लीच नीबू की शक्ति वाला चाहे तो पूछ लीजिए अपनी नानी से Surf excel दाग निकाले आसानी से नहीं जाएगा नहीं जाएगा दाग जाएगा रंग नहीं जाएगा लाल रहेगा लाल पीला पीला रहेगा दागो का है ये दुश्मन रंगों का नहीं है कपड़ो को करे बेरंग नहीं दाग निकाले रंग नहीं धब्बों का नहीं छोड़ता Clue Red   के लिए Blue                                   जो रोज है कमाता घर आधा किलो ना लाता उसे भी धब्बे हटाने थे                           उसको भी पहने थे कपड़ें धुले चिंता में न घुले Surf   का ये Magic sachet में भी मिले चल घर चल कपडे धुले दागो से डर के नहीं जीना है जीन

आंसुओ से हारा

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कभी दर्द से भीगे रहे कभी जिल्लतो ने धोया क्या सोचू कितना सोच कब टूटा कितना टूटा क्या क्या मैंने खोया कभी आंसुओ से हारा हारा कोई दिल का ना सहारा हरदम जिसके गम में था वो एक कतार भी न रोया क्या सोचू कितना सोच क्या क्या मैंने खोया मुझको दे दवा कोई दे तू दे दुआ कोई दर्द दाग सब दामन से वो मिट जाए मेरे मन से ऐ खुदा सुन इल्तजा यादे उसकी लेते जा पल भर की जो गलती थी बरसों फिर क्यों रोना था क्यों आंसुओ भिगोना था मौसम ने हौले से कहा तुफा भी अब निकाल चला सूरज भी आ रहा है जी   रोशन होने लगी धारा मौसम ने हौले से कहा पर पर पर फड़फड़ाइए आँखों आँसू ना लाइए जीवन है जीने के लिए उड़ उड़ उड़ते जाइए चोटों को गिनेंगे और रखेंगे टूटे परो का हिसाब तो कब उड़इएगा जनाब : शाशिप्रकाश सैनी  This Post is my entry to The Surf Excel Matic SoakNoMore Contest on Indiblogger

अंधेरा मेरे घर रहे

छतों पे पड़ती रही धूप वो बंद कमरों में हर पहर रहे कभी हवाओ से जूझें नहीं जहां बरसात में हम तरबतर रहे उनके छाते छूटे नहीं पानी से डरते इस कदर रहे न चले घास पे,  न   चमकती ओस पे चप्पल उतरे नहीं कही  न पैरों में कभी पर रहे ख्वाबो को आज़ाद छोडना था भरने उड़ान असमान की क्यों फिर ज़मी पर रहे मेरी सुनता नहीं है वो दी मुझे जिंदगी नहीं दुनिया की ली खबर बस मुझी से क्यों बेखबर रहे ना आंखे खोली कभी ना सवेरा देखा और खुदा पे लगाते रहे इलज़ाम अंधेरा मेरे घर रहे : शशिप्रकाश सैनी //मेरा पहला काव्य संग्रह सामर्थ्य यहाँ Free ebook में उपलब्ध  Click Here //