जब भी उसका मुस्कुराना हुआ

                                            Inspired by Maitreyee Bhattacharjee's post'



जिस दुनिया में हँसना मुस्कुराना है गुनाह
तेवर तल्खी ताना हुआ
जब भी उसका मुस्कुराना हुआ
बदसूरती को आजाब समझती थी दुनिया
आप ने बताया की खूबसूरत होना भी पाप है


जब भी आप हँसी खिलखिलाई
जब भी आपका मुस्कुराना हुआ
बात से सिर्फ बात हुई
लोगो ने समझा दिल लगाना हुआ
आप हँसती रही खुशी की तरह
उन्हें हँसी लगी आशिकी की तरह
वो हँसे भी ना, रोए भी ना
हर मुस्कान में मतलब निकालने लगी दुनिया
हँसना मुस्कुराना गुनाह हुआ


कभी छिटाकशी कभी सिटी बजाना हुआ
कभी तेवर कभी तल्खी कभी ताना हुआ
हसीन, रंगत, गोरापन
सब छेड़ने का बहाना हुआ
उस गली से मुश्किल आना जाना हुआ


ऑफिस कॉलेज सारे शहर से बचाना हुआ
हाथ दोस्ती का, हमदर्दी का
या इज्ज़त पे अजमाना हुआ
मुश्किल दोस्त बनाना हुआ
ओछा पूरा जमाना हुआ
किस से कहे क्या
कंधो पे सर रख रोए भी नहीं
बात बात पे छुना बहाना हुआ
हाथ हाथ से मुश्किल बचाना हुआ


खुबसूरती पाप हुई अपराध हुआ
कामयाबी की डगर
मेहनत शिद्दत से होकर
जब भी आना हुआ
खुबसूरती लोगो का बहाना हुआ
बस तोहमत लगाना हुआ
जब भी उसका मुस्कुराना हुआ


: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. Very nice poem sir..i really liked it.

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    1. सराहना हेतु आभार दिवाकर जी

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  2. So touching, so true! Beauty, innocence and a simple natural smile is a sin in this cruel world, not always but in case of most of the times..the pain is difficult to express, your words are flying with emotions. Thank you so much for sharing.

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    1. सराहना हेतु आभार मोहिनी जी

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  3. Superb sir... very touching n true...

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