कन्यादान मुनिया का



पुत्री होना
अब भी अपराध दुनिया का,
हैवानों के घर
ना कीजिए कन्यादान मुनिया का.


कन्यादान महादान
ना समझेंगें शैतान,
मुनिया गुणों की खान
मुनिया लक्ष्मी समान,
मांगते वो दौलत
इतना भरा लालच
चाहें जाए मुनिया के प्राण.


जब गूंजीं थी पहली किलकारी
मुनिया तब से घर की दुलारी,
कभी बकईयां चलना
कभी पापा के कंधों की सवारी,
मुनिया भईया की प्यारी
मुनिया घर की दुलारी.


वर को ना गड्डियों से
ना सोने से तोलो,
जहाँ बिक रहा हो शौहर
वहा से दूर हो लो.


गर आपने मांगे मानी है
डोली में गड्डियाँ डाली है,
जान लीजिए आपने डोली नहीं
मुनिया की अरथी निकली है,
दहेज लोभियों से बचाएं
ऐसे घर ना भजे
मुनिया को जिंदा ना जलाए.


भाई के लिए राखी है
माँ की नानी होने की इच्छाएं बाकि है,
मुनिया के भी कुछ अरमान है
थोड़ी सयानीं है थोड़ी नादान है
मुनिया घर की शान है,


कन्यादान महादान
ये जान जाइए,
बेटी लाइए बहु, मत लाइए
किसी की मुनिया को न सताइए,
आपकी भी मुनिया है
मुनियाओं के लिए दुनिया बेहतर बनाइए.


:शशिप्रकाश सैनी

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Comments

  1. मुनिया के भी कुछ अरमान हैं
    थोड़ी सयानीं हैं थोड़ी नादान हैं
    मुनिया घर की शान हैं.....sunder...

    kash ki yahi baat her ghar ko samajh aa jaye.........

    ReplyDelete

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